” बेशकीमती थैला”
” बेशकीमती थैला”
पुकारते हैं मुझे थैला नाम से
हैं मेरे भिन्न भिन्न आकार
विभिन्न रंग रूपों संग उपलब्ध
उत्पति के हैं विभिन्न आधार,
सामान डालो चाहे बारिश में पहनो
चारों तरफ है मेरी पुकार
सैंकड़ों परिवारों का पेट पालता
विदेशों तक फैला मेरा व्यापार,
शादी, कार्यक्रम या हो रोजमर्रा का काम
चाहे हो कोई व्रत और त्यौहार
हर तरह का सामान रखो मुझमें
दिखें सभी मुझ बिन लाचार,
सबकी हसरतों का ध्यान रखता
बिन मेरे यात्रा भी लगती बेकार
हर वर्ग के लिये बना जरूरतमंद
तनख्वाह लेता हो चाहे हो बेगार।