बेटी पढ़ायें, बेटी बचायें
मुनिया हो या रजिया,
वही शिकारी, वही जाल,
फँसी दंरिदों में बुलबुल,
सोच रहे मां – बाप,
कैसे बचायें लाडली अपनी,
कैसे बदलें यह हालात…. ….???
इसका है बस इतना हल,
न बनो, न बनाओ लाचार,
अपनी लाडली करो सुरक्षित,
पहनाकर शिक्षा का गहना,
देकर जागरूकता का हथियार !!!
रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत).
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)
दिनांक :- १५.०४.२०१८.