बारूदी उत्सव
बारूदी उत्सव
अमावस्या थी कार्तिक मास की
उत्सव था बारूदी
मनाया गया धूमधाम से
धूम-धड़ाकों ने
नहीं सोने दिया रातभर
बेरहमों ने
जमकर फूंका बारूद
नहीं खाया तरस
निरिह प्राणियों पर
अस्थमा रोगियों पर
घटती ओजोन परत पर
सुबह उठा तो
साम्राज्य था जर्रे-जर्रे पर
बारूदी गंध का
उत्सव इतना भयानक
कल्पना से परे
-विनोद सिल्ला©