बाबू जी की याद बहुत ही आती है
गीत..
बाबू जी की याद बहुत ही आती हैं।
स्मृतियों की विपुल राशि संग लाती है।।
बचपन की धुंधली तश्वीरें जुड़ करके।
जीवन की आपा-धापी से मुड़ करके।।
नयनों से चुपचाप उतरकर अन्तस् में।
लगता जैसे अपने पास बुलाती है।।
बाबू जी की याद बहुत ही आती है।
स्मृतियों की विपुल राशि संग लाती है।।
याद हमें है बचपन में जब घबराते।
बाबू जी थे हमें ज़िन्दगी सिखलाते।।
अम्मा की वह प्रेम भरी रूखी बातें।
लगता जैसे अब भी राह दिखाती है।।
बाबू जी की याद बहुत ही आती है।
स्मृतियों की विपुल राशि संग लाती है।।
संघर्षों का जीवन था पर रुके नहीं।
बाधाओं से घबरा करके झुके नहीं।।
करते रहे परवरिश हो करके तन्मय।
दीदी उनका कर्म-त्याग बतलाती हैं।।
बाबू जी की याद बहुत ही आती है।
स्मृतियों की विपुल राशि संग लाती है।।
रहे वसूलों के अनुयायी जीवनभर।
इसीलिए धन-दौलत वे ना पाये धर।।
सीधी वाणी और नहीं छल से नाता।
उनकी हर मुस्काहट हमें हँसाती है।।
बाबू जी की याद बहुत ही आती है।
स्मृतियों की विपुल राशि संग लाती है।।
बाबू जी तुम देव तुल्य इंसान रहे।
सत्य हमारी उम्मीदों के शान रहे।।
दरवाजे से जाता हूँ घर में जैसे।
सूनी चौखट वैसे ध्यान धराती है।।
बाबू जी की याद बहुत ही आती है।
स्मृतियों की विपुल राशि संग लाती है।।
डाॅ. राजेन्द्र सिंह “राही”
(बस्ती उ. प्र.)