बांग्लादेश हिंसा पर …
हैं जले घर पड़ोसियों के,
और जली हैं बस्तियाँ ।
देखकर के इक पड़ोसी,
कर रहा है मस्तियाँ ।।
आग आयी है जो अपने
पास के ही गाँव तक,
ख़त्म कर देगी, तेरे गाँव –
में सबकी हस्तियाँ।।
तूने पानी नहीं डाला
पड़ोसी की आग में ,
कौन देगा तुझे पानी?
जब जलेंगी अस्थियां ।
डूबते को देखकर के
मुस्कुराने तू लगा,
भूल मत मंझधार के
हैं बीच तेरी कश्तियाँ।
नदी के ही बीच में वो
मित्र सब लड़ने लगे,
एक दूजे को दिया धक्का,
दिखाई पस्तियाँ ।।
— सूर्या