23/195. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
कूच-ए-इश्क़ में मुहब्बत की कलियां बिखराते रहना,
सारे गिले-शिकवे भुलाकर...
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Lesson we gain from The Ramayana
ज़िंदगी में तेरी कभी कोई गम न हो ।
"मीरा के प्रेम में विरह वेदना ऐसी थी"
दयानंद जी गुप्त ( कुंडलिया )
**मन मोही मेरा मोहिनी मूरत का**
समाधान से खत्म हों,आपस की तकरार
जिंदगी में हजारों लोग आवाज
गले से लगा ले मुझे प्यार से