Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 2 min read

बहादुर बेटियाँ

कभी सरोजनी नायडू बनकर, स्वर वाटिका में क्रीड़ा दिखाती हैं।
कभी लता दीदी भावना लेके, इन कानों में मीठा गीत सुनाती हैं।
कभी मणिकर्णिका बनकर, रणभूमि वीरांगना का रूप दिखाऍं।
कभी आज़ाद हिंद फौज में, बढ़-चढ़कर वतन पे मर मिट जाऍं।

गौरवान्वित इतिहास की ये कथाऍं, हृदय को गर्व से भर देती हैं।
आज भारत की बहादुर बेटियाँ, असंभव को संभव कर देती हैं।

रानी के रण-कौशल की गाथा, हमें सुभद्रा के शब्द बतलाते हैं।
पवित्रता की सौगंध के गर्म अंगारे, जौहर के यज्ञों तक आते हैं।
भला कैसे भूलें नारी बलिदान, इतिहास के पन्ने आते हैं जगाने।
यों जलियांवाला बाग़ में, स्त्री आगे आई जान की बाज़ी लगाने।

त्याग को परिभाषित करते हुए, प्रत्येक युग में प्राण वर देती हैं।
आज भारत की बहादुर बेटियाँ, असंभव को संभव कर देती हैं।

मुगलों से लड़ते व भिड़ते, एक बेटी रानी दुर्गावती बन जाती है।
साधारण फौज के होते हुए भी, रानी मुगलों को धूल चटाती है।
ख़िलजी की ज़िद में एक पुत्री, ऐसे रानी पद्मावती तन जाती है।
अखण्ड अस्मिता की रक्षा हेतु, समस्त स्त्रियां यज्ञ में समाती हैं।

इस कारण कुल देवियाँ भी, इन्हें वरदान अजर व अमर देती हैं।
आज भारत की बहादुर बेटियाँ, असंभव को संभव कर देती हैं।

आज एक बेटी मिथाली बनकर, क्रिकेट जगत पे राज करती है।
तो कभी श्रेया घोषाल बनकर, शाश्वत संगीत के साज़ करती है।
जो बैडमिंटन कोर्ट में जाकर, पी.वी. सिन्धु हर दिन कमाल करे।
तो मैरी कॉम कर कमलों से, उजली ओलंपिक की मशाल करे।

यदि बेटियाँ मन में ठान लें, तो धमनियों में उत्साह भर लेती हैं।
आज भारत की बहादुर बेटियाँ, असंभव को संभव कर देती हैं।

कभी इच्छा कल्पना के कदमों से, चन्द्रमा के फलक तक जाए।
तो कभी बछेंद्री पाल बनकर, ऊॅंचे शिखरों को भी नीचे झुकाए।
यहाॅं कोई बेटी यूॅं हरनाज़ संधू बने, जिस पर हर कोई नाज़ करे।
कोई बेटी नीरजा भनोट बनकर, आकाश से ऊॅंची परवाज़ भरे।

बेटियाँ तो प्रतिभा के दम पे ही, हर क्षेत्र में अपना असर देती हैं।
आज भारत की बहादुर बेटियाँ, असंभव को संभव कर देती हैं।

कभी कुश्ती रिंग में उतरकर, साक्षी मलिक स्वर्ण का पदक ले।
बने अपने खेल की महारथी, रिंग में अच्छे अच्छों को पटक दे।
तो कभी मंधाना के रूप में, वो सबकी स्मृति में नित्य छाई रहे।
खेल से राष्ट्र का मान बढ़ाए, घर के द्वार पे हर वक्त बधाई रहे।

अब बेटियों के हुनर की कलम भी, नित नए शब्द प्रखर देती हैं।
आज भारत की बहादुर बेटियाँ, असंभव को संभव कर देती हैं।

2 Likes · 91 Views
Books from हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
View all

You may also like these posts

प्रेम
प्रेम
Shyam Sundar Subramanian
सेर
सेर
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)
सावन में मन मनचला,
सावन में मन मनचला,
sushil sarna
దీపావళి కాంతులు..
దీపావళి కాంతులు..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
You call out
You call out
Bidyadhar Mantry
जन्मोत्सव अंजनि के लाल का
जन्मोत्सव अंजनि के लाल का
ललकार भारद्वाज
धन्य बिहार !
धन्य बिहार !
Ghanshyam Poddar
मेरे स्वर जब तेरे कर्ण तक आए होंगे...
मेरे स्वर जब तेरे कर्ण तक आए होंगे...
दीपक झा रुद्रा
सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।
सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।
Taj Mohammad
लड़कियां गोरी हो, काली हो, चाहे साँवली हो,
लड़कियां गोरी हो, काली हो, चाहे साँवली हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
माता- पिता
माता- पिता
Dr Archana Gupta
जिन्दगी के कुछ लम्हें अनमोल बन जाते हैं,
जिन्दगी के कुछ लम्हें अनमोल बन जाते हैं,
शेखर सिंह
सर पर हाथ रख दूं तो आजाद हो जाएगा,
सर पर हाथ रख दूं तो आजाद हो जाएगा,
P S Dhami
आंगन आंगन पीर है, आंखन आंखन नीर।
आंगन आंगन पीर है, आंखन आंखन नीर।
Suryakant Dwivedi
जनता
जनता
Sanjay ' शून्य'
बताओ मैं कौन हूं?
बताओ मैं कौन हूं?
जय लगन कुमार हैप्पी
प्यार के पंछी
प्यार के पंछी
Neeraj Agarwal
मेहमान
मेहमान
meenu yadav
और तराशो खुद को
और तराशो खुद को
संतोष बरमैया जय
पा कर भी उदास थे, ख़ो कर भी उदास थे,
पा कर भी उदास थे, ख़ो कर भी उदास थे,
Iamalpu9492
शहर की गर्मी में वो छांव याद आता है, मस्ती में बीता जहाँ बचप
शहर की गर्मी में वो छांव याद आता है, मस्ती में बीता जहाँ बचप
Shubham Pandey (S P)
"देखना हो तो"
Dr. Kishan tandon kranti
#तस्वीर_पर_शेर:--
#तस्वीर_पर_शेर:--
*प्रणय*
हुआ उजाला धरती अम्बर, नया मसीहा आया।
हुआ उजाला धरती अम्बर, नया मसीहा आया।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कभी-कभी रिश्ते सबक बन जाते हैं,
कभी-कभी रिश्ते सबक बन जाते हैं,
पूर्वार्थ
कान्हा तेरी नगरी, आए पुजारी तेरे
कान्हा तेरी नगरी, आए पुजारी तेरे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रूह मर गई, मगर ख्वाब है जिंदा
रूह मर गई, मगर ख्वाब है जिंदा
डॉ. दीपक बवेजा
- दुनिया भर की समझ है पर दुनियादारी की समझ नही है -
- दुनिया भर की समझ है पर दुनियादारी की समझ नही है -
bharat gehlot
4167.💐 *पूर्णिका* 💐
4167.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Loading...