ज्ञान तो बहुत लिखा है किताबों में
“वफ़ा का चलन”
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
#शीर्षक;-ले लो निज अंक मॉं
दुखा कर दिल नहीं भरना कभी खलिहान तुम अपना
शाइरी ठीक है जज़्बात हैं दिल के लेकिन
रोटी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
भवप्रीता भवानी अरज सुनियौ...
कहीं दूर चले आए हैं घर से
गुस्सा सातवें आसमान पर था
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
सर्द हवाएं
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '