बरसात आई
आसमां में बादल छाई,
मौसम सुहानी लाई।
रिमझिम बरसात आई,
खेतों में पाक लाई।।
ठंडक खेत को मिला,
हल से खेत हुआ ढिला।
धान के बीज गिरने लगे,
पानी पडते अंकुरित होने लगे।।
इधर फसलों में हरियाली आई,
लीची में ललीयाई छाई।
आम का टिकोरा अठियाई,
बाजार में लालमी बिकाई।।
धीरे-धीरे फलों के राजा पकेंगे,
अपने आपको बाजार में रखेंगे।
किसी व्यापार के साथ पटेंगे,
जिससे पटेंगे वह इन्हें चखेंगे।।
फिर खेतों में लेव लगेगा,
धान की रोपनी शुरू होगा।
सोहर का अपना स्वर होगा,
जब दिन का दोपहर होगा।।
फिर सावन की सोमारी आएगी,
सबको देवघर बुलाएगी।
शिव को जलाभिषेक कराएगी,
भक्तों को मदीरा पान कराएगी।।
तब लोग निचिंत होंगे,
आराम प्रतीत होंगे।
गजब के प्रीत होंगे,
जब सपरिवार एक सीट होंगे।।
कवि – जय लगन कुमार हैप्पी ⛳