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10 Feb 2024 · 1 min read

बड़ी मिहनत लगाते है करीने से सजाने में,

ग़ज़ल
******

बड़ी मिहनत लगाते है करीने से सजाने में,
कई रातें गँवा देते गजल अच्छी बनाने में !

न जाने कौन सी जादू कलम इनके लगी हाथों,
नहीं देरी लगाते जो, ग़ज़ल झटपट रचाने में !

चुराकर शेर शाइर के उसे अपना बता देते
बड़े शातिर ये होते है कलाकारी दिखाने में !

बड़े मशरूफ हमेशा ही नज़र आते है ये साहिब
लगे रहते अजी तारीफ़ खुद की ही जताने में !

कही की ईंट तो रोड़ा कही का जोड़े बना देते,
बड़े माहिर है वो यारो यूँ लफ्जो को भिड़ाने में !!
***
!
डी के निवातिया

31 Views
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