बच्चे
प्यार के अवतार हैं बच्चे।
सुन्दरत्तम संसार है बच्चे।।
पढ़ाई में बड़े व्यस्त बच्चे।
खेल में भी हैं मस्त बच्चे।।
सबसे करते हैं प्यार बच्चे।
प्यार के होते यार हैं बच्चे।।
देव रूप ये भरपूर हैं बच्चे।
जीवन में हैं बिल्कुल सच्चे।।
ईश्वर की सरकार है बच्चे।
धरती का संसार है बच्चे।।
हल्ले-गुल्ले बौछार बच्चे।
खुशियाँ साकार है बच्चे।।
हंसते और गाते हैं बच्चे।
भागे-दौड़े सुस्ताते बच्चे।।
‘पृथ्वी’ प्यारे लगते बच्चे,
बहार आए जब हंसे बच्चे।।
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कवि पृथ्वीसिंह बैनीवाल