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26 Sep 2021 · 1 min read

बचपन के वो दोस्त

बचपन के वो दोस्त

पुराने दिन बीत जाते हैं

कहानी सी सुहानी यादें बनकर,

यादे,वादे रह जाते है नश्तर सा बनकर,

वो बचपन के दोस्त तो हमेशा

दिल के करीब रहते है मधुर यादे बनकर

कभी पुरानी बातों से मुस्कान तो कभी,

आँखों का पानी बनकर बह चलते हैं आँसू

फिर कभी लौट कर तो नही आते हैं

लम्हे बनकर फिर से जीने के लिए

एक कसक सी रह जाती हैं जीवन भर

क्यो लौट नही सकते वो मस्ती वाले पल

जिनको जीते थे साथ साथ मिल पल पल

घर मे मार खाते थे फिर भी साथ रहते थे

न जाने कौन सा जुड़ाव था जो सब सहते थे

सोचा भी न था कभी जुड़ा होंगे हम पर

वक्त सदा ठहरता ही कहाँ हैं पगली”मंजु”

बीत गया वो वक्त था सुहाना सा सफर

अब तो अकेले ही चलना है राहे सफर बनकर

पुराने दिन बीत जाते हैं

कहानी सी सुहानी यादें बनकर,

डॉ मंजु सैनी

गाज़ियाबाद

Language: Hindi
257 Views
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