फिर भी ये दिल रीता है
ग़ज़ल
मापनी 22-22-22-2
हर दुख हमने जीता है,
फिर भी ये दिल रीता है!
जब भी सच पर चलते हैं,
लगता तुरत पलीता है!
करते-करते जग सेवा,
सारा जीवन बीता है!
क्या-क्या अनुभव बतलायें,
मन में पूरी गीता है!
फिर भी ”मोहन” दुख का विष,
अब भी हँसकर पीता है!
– शिव मोहन यादव
कृपालपुर, गौरीकरन, कानपुर देहात.