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2 Jul 2023 · 1 min read

“फितरत”

अजीब है इंसानी फितरत
वो करता है कद्र
किसी चीज की
सिर्फ दो बार ही,
एक तो
मिलने से पहले
दूसरी मर्तबा
खो देने के बाद ही।

इंसान ये भूल जाता
कि वो खोते जा रहे
दिन-ब-दिन
अपनी जिन्दगी के दिन,
आधा सो करके
और आधा कर्म बिन।

कई बार छेड़ देते
नुक्तों पर बहस
तो कभी हिज्जे पर चर्चा,
वो भूल जाता
कितना उपयोग किया
कितना बिन काम का खर्चा।

उसकी मति फिर जाती है,
जिन्दगी मौत से घिर जाती है।

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्यकार/प्रशासनिक अधिकारी
बेस्ट पोएट ऑफ दी ईयर-2023

76 Likes · 125 Comments · 1887 Views
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