Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 May 2024 · 2 min read

संगाई (भू-श्रंगी हिरण)

संगाई यह भारत के मणिपुर में पाया जाने वाला एक मृग-हिरण है। यह हिरण केवल मणिपुर में ही पाया जाता है। यह मणिपुर का ‘राज्य पशु’ भी है। पहले यह हिरन पूरे मणिपुर में पाया जाता था परन्तु अब सिर्फ ‘केईबुल लम्जाओं राष्ट्रीय उधान’ में ही दिखाई देता है। केईबुल लम्जाओं राष्ट्रीय उधान विश्व का एकमात्र तैरता हुआ राष्ट्रीय उधान है।

मणिपुर की लोक कथाओं में संगाई का बहुत ही सम्मानित स्थान है। कहते हैं एक बार मणिपुर का राजकुमार जंगलों में शिकार करने गया था। शिकार करते हुए उसने एक संगाई हिरन को पकड़ लिया। इसकी सुन्दरता से प्रभावित होकर उसने इस हिरण को अपनी प्रेमिका को भेंट के रूप में दे दिया। उसके बाद राजकुमार को युद्ध के लिए जाना पड़ा। कुछ दिनों बाद जब राजकुमार युद्ध जीतकर लौटे तब उन्हें पता चला कि उनकी प्रेमिका का विवाह किसी दूसरे राजा के साथ सम्पन्न हो गया है। राजकुमार ने सोचा शायद मैंने ‘संगाई’ को गुलाम बनाया था, उसी की सजा मुझे मिली है। यह सोचकर दुःखी राजकुमार ने संगाई को आजाद कर दिया। उसी समय से मणिपुर के लोग संगाई को बंधनों में बांधकर नहीं रखते हैं।

संगाई की सबसे बड़ी खूबी है कि यह मौसम के अनुसार अपना रंग बदलता है। सर्दियों में यह गहरा भूरा रंग का तथा गर्मियों में यह हल्का भूरा रंग का हो जाता है। संगाई को भू-श्रंगी हिरण भी कहा जाता है। संगाई विभिन्न प्रकार के जल में रहने वाले पौधों, घासों, और अंकुरों का भोजन करता हैं। संगाई के सिंग शुरू से लेकर अंतिम छोर तक घुमावदार होता है यह दूर से देखने पर सांभर की तरह ही दिखता है। लेकिन यह सांभर से छोटे आकार का होता है। मणिपुर के एक अन्य लोककथा में, लुवांग कबीले के पुदंगकोई नामक एक राजकुमार ने एक दिव्य इकाई की कृपा से खुद को एक हिरण में बदल दिया, जो बाद में संगाई कहलाया।

पूरी दुनिया में सबसे दुर्लभ जानवरों की प्रजातियों में से एक रूप में पहचानी जाने वाली यह संगाई लोगों के लिए आंख का तारा है।

जय हिन्द

Language: Hindi
1 Like · 21 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अधूरा नहीं हूँ मैं तेरे बिना
अधूरा नहीं हूँ मैं तेरे बिना
gurudeenverma198
*याद है  हमको हमारा  जमाना*
*याद है हमको हमारा जमाना*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
అమ్మా తల్లి బతుకమ్మ
అమ్మా తల్లి బతుకమ్మ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
किसी के साथ दोस्ती करना और दोस्ती को निभाना, किसी से मुस्कुर
किसी के साथ दोस्ती करना और दोस्ती को निभाना, किसी से मुस्कुर
Anand Kumar
"" *मन तो मन है* ""
सुनीलानंद महंत
मैं एक पल हूँ
मैं एक पल हूँ
Swami Ganganiya
दूरियां अब सिमटती सब जा रही है।
दूरियां अब सिमटती सब जा रही है।
surenderpal vaidya
23/155.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/155.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिन्दगी
जिन्दगी
Bodhisatva kastooriya
फिर बैठ गया हूं, सांझ के साथ
फिर बैठ गया हूं, सांझ के साथ
Smriti Singh
शाश्वत और सनातन
शाश्वत और सनातन
Mahender Singh
खोया है हरेक इंसान
खोया है हरेक इंसान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
*राम-नाम को भज प्यारे यह, जग से पार लगाएगा (हिंदी गजल)*
*राम-नाम को भज प्यारे यह, जग से पार लगाएगा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
" from 2024 will be the quietest era ever for me. I just wan
पूर्वार्थ
"निशान"
Dr. Kishan tandon kranti
■ आज का विचार...
■ आज का विचार...
*प्रणय प्रभात*
बीमार घर/ (नवगीत)
बीमार घर/ (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
चिट्ठी   तेरे   नाम   की, पढ लेना करतार।
चिट्ठी तेरे नाम की, पढ लेना करतार।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
बारिश
बारिश
Punam Pande
इंसानियत का चिराग
इंसानियत का चिराग
Ritu Asooja
आज नए रंगों से तूने घर अपना सजाया है।
आज नए रंगों से तूने घर अपना सजाया है।
Manisha Manjari
कुछ लिखूँ ....!!!
कुछ लिखूँ ....!!!
Kanchan Khanna
कोशिश करना छोरो मत,
कोशिश करना छोरो मत,
Ranjeet kumar patre
शिक़ायत नहीं है
शिक़ायत नहीं है
Monika Arora
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस
Ram Krishan Rastogi
*भला कैसा ये दौर है*
*भला कैसा ये दौर है*
sudhir kumar
लोकतंत्र
लोकतंत्र
करन ''केसरा''
बैरिस्टर ई. राघवेन्द्र राव
बैरिस्टर ई. राघवेन्द्र राव
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जन्नत
जन्नत
जय लगन कुमार हैप्पी
Loading...