फ़ासला पर लिखे अशआर
थोड़ा सा फ़ासला रक्खा कर दरमियां ।
लगता है दिल को तुझे खो कहीं न दूं ।।
दूर हम से कहीं नहीं जाना ।
फ़ासले एतबार खोते हैं ।
फ़ासला तुम से कर तो ले लेकिन ।
दूर जाने से सांस रूकती है ।।
दूरियों की वजह न बन जाए ।
फ़ासला दरमियान रखते हैं ।।
दूरियों से कहां शिकायत है ।
फ़ासले दिल के बस नहीं अच्छे ।।
दूरियों से बस इत्तिफ़ाक़ रहा ।
फ़ासले कम नहीं किये हमनें ॥
दूरियों को करीब कर बैठे ।
फ़ासले जब भी कम किये हमने ।।
फ़ासला तुमसे कर नहीं सकते ।
दिल धड़कनें का एक सबब तुम हो ।।
फ़ासला दरमियान कर बैठा ।
मुझको इतना करीब कर बैठा ।।
मुनासिब है दरमियां थोड़ा सा फ़ासला रखना ।
ज़्यादा नज़दीकियां भी रिश्ते बिगाड़ देती हैं ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद