Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Apr 2019 · 3 min read

 क्या फर्क पड़ता है…??

“क्या फर्क पड़ता है…?”

इश्क की बाजी मैंने हारी या जीती, “क्या फर्क पड़ता है”…?
क्या खोया मैंने क्या पाया इश्क़ में, “क्या फर्क पड़ता है”…??

बेइंतहा चाहा है तुमको, वक़्त का इक इक लम्हा गवाह है…!
सारी दुन्या जानती है इक तूने न जाना, “क्या फर्क पड़ता है”…??

सिला-ए-इश्क में मिली है मुझको शोहरत या मिली है रुसवाई…!
छोड़ो भी इन बचकानी बातों को ” क्या फर्क पड़ता है “…??

सदा खुश रहो तुम, दिल देता है आज भी यही दुआ तुमको…!
मेरी ज़िन्दगी बर्बाद हुई तो हुई, “क्या फर्क पड़ता है”…??

मालुम है मुझको, तेरे माँ-बाप ने भी की है मुहब्बत की शादी…!
तुम अपनी बेवफाई को मजबुरी कहो तो कहो “क्या फर्क पड़ता है”…??

होता है तजकरा जब भी वफ़ा का, मिशाल साहिल का देते है लोग…!
सिर्फ तुमने ही मेरी वफ़ा को “साइको” कहा तो कहा, “क्या फर्क परता है”…??

सभी जानते है “साहिल” नाम है, शायरी ही पहचान है मेरी…!
एक तुमने ही ना पहचाना तो ना सही, “क्या फर्क पड़ता है”…??

मै भी बावफ़ा था, मेरी मंजिले-मुहब्बत भी वफादार थी…!
एक तुम ही मुझे वफ़ा ा कर सकी, खैर “क्या फर्क पड़ता है”…??

साँसों का चलना ही ज़िन्दगी है तो, आज भी ज़िंदा हूँ मै…!
ज़िन्दगी को अब जी लूँ या गुज़ार दूँ , “क्या फर्क पड़ता है”…??

सुनता हूँ जब लफ्ज बेवफा शिद्दत से आता है याद एक नाम “रूमी”…!
सोचता हूँ बावफ़ा कहूँ या कहूँ बेवफा तुझे, लेकिन “क्या फर्क पड़ता है”…??

बेवफाई-ऐ-रूमी ने ज़िन्दगी और मौत का सारा फासला मिटा डाला…!
मर जाऊं मै या जी लूँ जरा, अब इस बात से “क्या फर्क पड़ता है”…??

याद करने से भी याद आता नहीं एक लम्हा, जब किया हो तूने मुझसे वफ़ा…!
याद रख्खुं या भूल जाऊं अब तुझे, तूँ ही बता “क्या फर्क पड़ता है”…??

तुम हो जात की राईन व सब्जीफरोश, और मै हूँ जात का शैख़…!
करती जो तुम वफ़ा, तो इश्क़ में जात-पात से “क्या फर्क पड़ता है”…??

ताजमहल को निशानी-ऐ-मुहब्बत कहो या कहो नुमाईश-ऐ-दौलत…!
दुन्या वाकिफ है हकीकत से, तुम्हारे कहने से भला “क्या फर्क पड़ता है”…??

जब से चाहा है तुमको, तुझे ही अपना ईमान धर्म और खुदा बना डाला…!
अब कोई मुझे काफिर कहे या कहे आशिक दिवाना,”क्या फर्क पड़ता है”…??

तेरी बेवफाई ने मुझ ज़िंदा-दिल को ज़िन्दा-लाश बना डाला…!
अब कोई लूज़र, फाइटर ,या कहे शायर मुझको, “क्या फर्क पड़ता है”…???

कौन है बावफ़ा और है कौन बेवफा, अपने दिल से पूछना…!
मिल जाये जवाब तो ढीक है वार्ना जाने भी दो, “क्या फर्क पड़ता है”…??

कहानी का अन्त हमेशा शुरुआत की याद दिलाता है…!
अन्त सुखद हो या हो फिर दुखद, “क्या फर्क पड़ता है”…??

सुरज की मानिन्द खुबसुरत चेहरा भी, शाम होते ही ढल जाता है…!
असल खूबसूरती तो दिल की होती है, चेहरे से “क्या फर्क पड़ता है”…??

फिरकापरस्त लोग कहते है, ताजमहल की जगह कभी सीतामहल था…!
इतिहास के पन्नो में दफ़न है सच्चाई, किसी के कहने से “क्या फर्क पड़ता है”…??

एक धंधेवाली को वेश्या कहो, कॉल गर्ल या कहो स्कॉट सर्विस गर्ल …!
ज़िल्लत हो या शोहरत काम दिलाता है, नाम से “क्या फर्क पड़ता है”…???

मुहब्बत जब संगदिल सितमगर और बेवफा बन जाए..!
ऐसी मुहब्बत को हासिल कर लो या भुला डालो,”क्या फर्क पड़ता है”…??

मेरा यकीन मुहब्बत को पाने में है हासिल करने में नहीं…!
मै अपने उसूल का पाबन्द हूँ दुन्या कुछ सोचे, “क्या फर्क पड़ता है”…??

ज़िन्दगी ख़त्म करके किसी की, वापस कभी लौटा सकता नहीं कोई…!
अब कातिल को माफ़ी दो या सजा फांसी की, “क्या फर्क पड़ता है”…??

खुदा के साथ किसी की शरीक मत करना “साहिल”, काफिर बना देगा तुमको…!
अब तुम सनम-परस्त बनो या बनो बुत-परस्त, “क्या फर्क पड़ता है”…??

Language: Hindi
291 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*लाल सरहद* ( 13 of 25 )
*लाल सरहद* ( 13 of 25 )
Kshma Urmila
तुझसे मिलते हुए यूँ तो एक जमाना गुजरा
तुझसे मिलते हुए यूँ तो एक जमाना गुजरा
Rashmi Ranjan
हालात बदलेंगे या नही ये तो बाद की बात है, उससे पहले कुछ अहम
हालात बदलेंगे या नही ये तो बाद की बात है, उससे पहले कुछ अहम
पूर्वार्थ
जयंती विशेष : अंबेडकर जयंती
जयंती विशेष : अंबेडकर जयंती
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
संध्या वंदन कीजिए,
संध्या वंदन कीजिए,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
*श्री रामप्रकाश सर्राफ*
*श्री रामप्रकाश सर्राफ*
Ravi Prakash
खिचड़ी
खिचड़ी
Satish Srijan
******जय श्री खाटूश्याम जी की*******
******जय श्री खाटूश्याम जी की*******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
झूम मस्ती में झूम
झूम मस्ती में झूम
gurudeenverma198
"आपदा"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
समय देकर तो देखो
समय देकर तो देखो
Shriyansh Gupta
💐प्रेम कौतुक-454💐
💐प्रेम कौतुक-454💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
झरना का संघर्ष
झरना का संघर्ष
Buddha Prakash
उसकी गली से गुजरा तो वो हर लम्हा याद आया
उसकी गली से गुजरा तो वो हर लम्हा याद आया
शिव प्रताप लोधी
मैंने नींदों से
मैंने नींदों से
Dr fauzia Naseem shad
புறப்பாடு
புறப்பாடு
Shyam Sundar Subramanian
शायरी - गुल सा तू तेरा साथ ख़ुशबू सा - संदीप ठाकुर
शायरी - गुल सा तू तेरा साथ ख़ुशबू सा - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
वक्त के थपेड़ो ने जीना सीखा दिया
वक्त के थपेड़ो ने जीना सीखा दिया
Pramila sultan
ऋतु गर्मी की आ गई,
ऋतु गर्मी की आ गई,
Vedha Singh
गुमाँ हैं हमको हम बंदर से इंसाँ बन चुके हैं पर
गुमाँ हैं हमको हम बंदर से इंसाँ बन चुके हैं पर
Johnny Ahmed 'क़ैस'
■ आज का संकल्प...
■ आज का संकल्प...
*Author प्रणय प्रभात*
सुप्रभात
सुप्रभात
Arun B Jain
आज गरीबी की चौखट पर (नवगीत)
आज गरीबी की चौखट पर (नवगीत)
Rakmish Sultanpuri
एक कतरा प्यार
एक कतरा प्यार
Srishty Bansal
प्यार करें भी तो किससे, हर जज़्बात में खलइश है।
प्यार करें भी तो किससे, हर जज़्बात में खलइश है।
manjula chauhan
मैं धरा सी
मैं धरा सी
Surinder blackpen
23/183.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/183.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ज़िन्दगी सोच सोच कर केवल इंतजार में बिता देने का नाम नहीं है
ज़िन्दगी सोच सोच कर केवल इंतजार में बिता देने का नाम नहीं है
Paras Nath Jha
नारी हूँ मैं
नारी हूँ मैं
Kavi praveen charan
Loading...