प्रेमचंद
प्रेमचंद ने पात्रों की संकल्पना उनके चरित्र के अनुरूप की है यथा बुधिया,मुलिया,घीसू या गोबर ये सब दीन-हीन है जो भरसक प्रयास करने पर भी उन्नीस ही दिखते हैं पर प्रेमचंद ने ऐसे पात्रों द्वारा ऐसा समाज अख़्तियार किया है कि ध्यान बरबस उस ओर चला जाता है।इनका गरीब होना इनकी कमजोरी नहीं वरन् शिष्ट वर्ग की ओर कटाक्ष है जो सदा से उन्हें उपेक्षित करता रहा है…!
मनोज शर्मा