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18 Mar 2024 · 1 min read

तेरे बिन घर जैसे एक मकां बन जाता है

तेरे बिन घर जैसे एक मकां बन जाता है
तेरे बिन जैसे, वज़ूद मेरा ग़ुम हो जाता है
करता हूँ, गुफ़्तगू मैं जब भी तस्वीरों से तेरी
फ़क़त खामोशी का एक आशियाना रह जाता है

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