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1 Dec 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

अपने नज़र आते नहीं उनको गुमाँ इतना हुआ
बुझ आग चाहत की गयी दिल में धुआँ इतना हुआ//1

आँखें चुराते हैं अमीरी में भुला बैठे अदब
भौतिक ज़हां का कुछ लगे उनको नशा इतना हुआ//2

जो सादगी भूले नहीं इंसानियत ज़िंदा तभी
भूला नहीं ये बात मैं मुझसे अदा इतना हुआ//3

मिट्टी उसे परहेज़ में मानी नहीं मुझसे मिला
फ़ितरत लगे छलिया तभी मुझसे ज़ुदा इतना हुआ//4

उसकी हँसी क़ातिल हुई दिल आ गया मैं क्या करूँ
धोका हुआ दिल से तभी पागल फ़िदा इतना हुआ//5

ये आपकी क़िस्मत हुई दौलत मिली चाहत मिली
हासिल नहीं तुमसा हुआ मेरा सिला इतना हुआ//6

चाँदी नहीं सोना नहीं पीतल नहीं लोहा नहीं
‘प्रीतम’ मिला चाहत मिली कैसे ग़िला इतना हुआ//7

आर. एस. ‘प्रीतम’

Language: Hindi
2 Likes · 50 Views
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