प्रकृति
पेड़-पौधों की खन-खन,
मुझे लगती है बहुत ही प्यारी।
पेड़ो-पौधों का हिलना,
मेरे मन को लुभाता बहुत है।
काश ये दुनिया प्रकति की दुनिया को समझे,
भले-बुरे का भेद वो जाने
प्रकति की सुंदरता को वो पहचाने।
पेड़-पौधों से हमे मिलती छांव,
फल-फूल और लकड़ी की भरमार।
पेड़ो से हवा,
फूलों से खुशबू ,
पौधों से सुंदर हरियाली आए
प्रकति को प्रकति की जरूरत बताए।
जहरीली गैस मिलकर हवा में,
प्रकति को भरपूर दूषित है करती।
प्रकति आखिर प्रकति है,
देना जानती है ये भी
ईंट का जवाब पत्थर से।