Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Aug 2021 · 2 min read

प्रकृति से सीखो

मस्त फिजाओ में होकर मगन ।
मन मेरा ये झूमे।
धरती को बादल।
बादल को धरती ।
बरखा जल से चूमे ।
नदियों में लहराएं पानी ।
ओढे धरती चुनर रंग धानी ।
रखती न अपने पास कुछ प्रकृति।
देती है सब कुछ लूटा ।
उस-सा नही है कोई दानी ।
पेङ पर बैठा बंदर ।
गिलहरी कर रही कूद-उछल ।
तालाबो की शोभा बढाते कमल ।
तन हो चाहे जैसा भी ।
पर होना चाहिए मन निर्मल ।
सीखे हम किससे ।
सुने किसके किस्से ।
प्रकृति से बढकर ।
न कोई गुरू है ।
खत्म है कहानी ।
जहां पर गुरूर है ।
दत्तात्रेय महर्षि ।
प्रकृति से जोङी थी जिन्होने खुशी।
पर्वत -सा रहना सीखो तुम अडिग।
विचलित न होना तुम कभी ।
लाख दुःखो का आए झंझावात।
सहते रहना,चलते रहना ।
है बस खुशी उसी के बाद ।
मन हो एकाग्र द्रुत कुशाग्र ।
वक्र की भांति रखो तुम ध्यान ।
नदियो से सीखो ।
समंदर से मिलना ।
पत्थर को काटे ।
मिट्टी को छांटे ।
राह में आते जो भी कांटे ।
मंजिल मिले नदी जब तक तुम्हे ।
छोङो न तुम गिरना,उठना ।
कोयल से सीखो ।
मधुर तुम बोलना ।
रंग से चाहे तुम जैसा दिखना ।
गुण से ही हम पहचाने जाते ।
सुंदर तो अनंत है ।
प्रतिभा तुम्हारी आए सबके सामने ।
शर्म को तुम अभी से छोड़ना ।
श्वान सी नींद हो ।
दृष्टि गिद्ध हो ।
ऐसी ही तुम्हारी जिद हो ।
पेङो से सीखना।
धैर्य को रखना ।
पतझङ में पत्तियो कांग्रेस झङना।
संयम रखकर जो भी है रहते ।
निश्चित है उनमे हरे कपोलो का खिलना ।
समंदर सी हो तुममे ऊर्जा ।
ज्वार-भाटा सी हो तुम में गर्जना।
पक्षी से सीखो, सुबह में उठना ।
मस्ती में उनके जैसा चहकना ।
उङान हमेशा भरते रहो तुम ।
देखो कभी न तुम थकना ।
कछुए से सीखो कठोर तुम बनना।
धीरे-धीरे निरंतर चलते रहना ।
कौए से सीखो हर पल सतर्क रहना ।
हाथ उठाया जैसे आपने ।
तय है उनका फुर्र से उङना ।
तारो -सा चमको ।
फूलों -सा महको ।
बनकर तुम दीए का उजाला ।
तम को निगलो ।
प्रकृति ही सब कुछ सिखाती है ।
बङे तर्कमय है उसके क्रियाकलाप ।
वही वैज्ञानिक, दार्शनिक, सफल व्यक्तित्व बनाती है ।
प्रकृति ही है ईश्वर की सर्वोत्तम कृति ।
सीखो तुम चींटी से आलस्य त्यागना ।
एकजुट होकर तल्लीनता से कार्य करना ।
देखा मकङी को दीवार प्रस्तर पर चढते गिरते हर बार सिकंदर ।
अंत पा ली मकङी मुकद्दर ।
कोशिश करते रहो कामयाबी मिलने तक ।
सीखी थी सिकंदर ने मकङी के क्रियाकलाप पर गङा कर नजर ।
प्रकृति के ही है सब अंग ।
सिकंदर ने विश्वविजेता बनने की थी ठानी जंग।

☆☆ RJ Anand Prajapati ☆☆

Language: Hindi
1 Like · 573 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*भारतमाता-भक्त तुम, मोदी तुम्हें प्रणाम (कुंडलिया)*
*भारतमाता-भक्त तुम, मोदी तुम्हें प्रणाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अब  रह  ही  क्या गया है आजमाने के लिए
अब रह ही क्या गया है आजमाने के लिए
हरवंश हृदय
Genuine friends lift you up, bring out the best in you, and
Genuine friends lift you up, bring out the best in you, and
पूर्वार्थ
"होशियार "
Dr. Kishan tandon kranti
19, स्वतंत्रता दिवस
19, स्वतंत्रता दिवस
Dr .Shweta sood 'Madhu'
काला कौवा
काला कौवा
surenderpal vaidya
कोई विरला ही बुद्ध बनता है
कोई विरला ही बुद्ध बनता है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
वो मुझसे आज भी नाराज है,
वो मुझसे आज भी नाराज है,
शेखर सिंह
सारे नेता कर रहे, आपस में हैं जंग
सारे नेता कर रहे, आपस में हैं जंग
Dr Archana Gupta
इतने अच्छे मौसम में भी है कोई नाराज़,
इतने अच्छे मौसम में भी है कोई नाराज़,
Ajit Kumar "Karn"
काश की रात रात ही रह जाए
काश की रात रात ही रह जाए
Ashwini sharma
Universal
Universal
Shashi Mahajan
कुछ लोग
कुछ लोग
Dr.Pratibha Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
राम के जैसा पावन हो, वो नाम एक भी नहीं सुना।
राम के जैसा पावन हो, वो नाम एक भी नहीं सुना।
सत्य कुमार प्रेमी
इश्क़ का क्या हिसाब होता है
इश्क़ का क्या हिसाब होता है
Manoj Mahato
मुखौटे
मुखौटे
Shaily
Dear  Black cat 🐱
Dear Black cat 🐱
Otteri Selvakumar
छठ गीत
छठ गीत
Shailendra Aseem
उत्तर   सारे   मौन   हैं,
उत्तर सारे मौन हैं,
sushil sarna
🙅आज का सवाल🙅
🙅आज का सवाल🙅
*प्रणय*
बारिश की बूँदें
बारिश की बूँदें
Smita Kumari
कभी कभी ज़िंदगी में लिया गया छोटा निर्णय भी बाद के दिनों में
कभी कभी ज़िंदगी में लिया गया छोटा निर्णय भी बाद के दिनों में
Paras Nath Jha
दरवाज़े का पट खोल कोई,
दरवाज़े का पट खोल कोई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
4859.*पूर्णिका*
4859.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-170
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-170
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अजीब शै है ये आदमी
अजीब शै है ये आदमी
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बस कुछ दिन और फिर हैप्पी न्यू ईयर और सेम टू यू का ऐसा तांडव
बस कुछ दिन और फिर हैप्पी न्यू ईयर और सेम टू यू का ऐसा तांडव
Ranjeet kumar patre
सर्दियों का मौसम - खुशगवार नहीं है
सर्दियों का मौसम - खुशगवार नहीं है
Atul "Krishn"
निर्वात का साथी🙏
निर्वात का साथी🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...