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18 Aug 2021 · 1 min read

प्यार में वो उलझा गई

**प्यार में वो उलझा गई*
*** 212 222 212 ***
********************

देखते ही वो शरमा गई,
प्रेम की बरखा बरसा गई।

ताकता आँखों से था उसे,
जान सूली पर लटका गई।

फूल सा मैं खिलता ही रहा,
जब नजर मेरी टकरा गई।

हाल मेरा गिरता ही गया,
आग ईश्क की तड़फा गई।

यार मनसीरत जां से गया,
प्यार में वो है उलझा गई।
********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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