प्यार में वो उलझा गई
**प्यार में वो उलझा गई*
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देखते ही वो शरमा गई,
प्रेम की बरखा बरसा गई।
ताकता आँखों से था उसे,
जान सूली पर लटका गई।
फूल सा मैं खिलता ही रहा,
जब नजर मेरी टकरा गई।
हाल मेरा गिरता ही गया,
आग ईश्क की तड़फा गई।
यार मनसीरत जां से गया,
प्यार में वो है उलझा गई।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)