मंजिल यूँ ही नहीं मिल जाती,
कैसे रखें हम कदम,आपकी महफ़िल में
मुझे हर वो बच्चा अच्छा लगता है जो अपनी मां की फ़िक्र करता है
आधार छन्द- "सीता" (मापनीयुक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा गालगा (15 वर्ण) पिंगल सूत्र- र त म य र
मना लिया नव बर्ष, काम पर लग जाओ
ये खुदा अगर तेरे कलम की स्याही खत्म हो गई है तो मेरा खून लेल
नवीन वर्ष (पञ्चचामर छन्द)
हमारा हाल अब उस तौलिए की तरह है बिल्कुल
💐प्रेम कौतुक-297💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Janeu-less writer / Poem by Musafir Baitha
मुझे फ़र्क नहीं दिखता, ख़ुदा और मोहब्बत में ।
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
पड़ते ही बाहर कदम, जकड़े जिसे जुकाम।
दो शब्द ढूँढ रहा था शायरी के लिए,
*व्याख्यान : मोदी जी के 20 वर्ष*