Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Dec 2021 · 1 min read

कलकल बहती माँ नर्मदा !

कलकल बहती माँ नर्मदा
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
कलकल बहती माँ नर्मदा ,
निश्चल छलछल अविरल धारा ।
अमरकंटक शिखर से वो निकलती ,
पूरब दिशा से पश्चिम को बहती ।

धरा पर उतरी शिवपुत्री बनकर ,
कोटि-कोटि तीर्थ है इसके तट पर ।
गंगा में तो है लोग, डुबकी लगाते ,
दर्शनमात्र इसके, पाप नष्ट हो जाते।

पाकर शिव का वरदान नर्मदा ,
पापनाशिनी बन गई है सर्वदा ।
निर्मल,पावन,पुण्य सलिला ,
सनातनियों की शान नर्मदा ।

रेत में इसके पाषाण जो मिलते ,
भोले शंकर हर पत्थर बसते ।
हर पत्थर शिवलिंग बन जाता ,
प्राणप्रतिष्ठा का प्रयोजन नहीं पड़ता ।

कंकड़- कंकड़ शंकर सम है ,
नर्मदेश्वर शिव का रुप अनुपम है ।
प्रलयकाल में, ये है अविनाशी ,
मोक्षप्रदायिनी सबकी अभिलाषी ।

विंध्य सतपुड़ा गिरिमाला में सजधज ,
सोनभद्र के संग प्रेम पड़ी थी ।
सखी जुहिला ने जब धोखा दिया तो ,
क्रोधित उल्टी दिशा को चली थी ।

चिरकुंवारी का व्रत लेकर उसने,
सागर समाहित वो चल निकली ।
सब नदी मिलते बंगाल की खाड़ी
वो अकेली अरब सागर को मिलती।

इकलौती नदी ऐसी है हिंद में ,
होती जिसकी परिक्रमा जग में।
मनुहारी नदी है ये निर्मल जल का,
कलकल निनादिनी पुण्यप्रदायिका।

नमामि नदी नर्मदे !
स्कंद-पुराणे रेवा-खंडे ।
ऋग्वेद वारण्ये पुण्या,
शत-शत नमन माँ नर्मदे !

मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – ०३ /१२ /२०२१
कृष्णपक्ष, चतुर्दशी , शुक्रवार ,
विक्रम संवत २०७८
मोबाइल न. – 8757227201

Language: Hindi
4 Likes · 10 Comments · 1215 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from मनोज कर्ण
View all
You may also like:
सच तो हम तुम बने हैं
सच तो हम तुम बने हैं
Neeraj Agarwal
"आंधी की तरह आना, तूफां की तरह जाना।
*Author प्रणय प्रभात*
प्यार भी खार हो तो प्यार की जरूरत क्या है।
प्यार भी खार हो तो प्यार की जरूरत क्या है।
सत्य कुमार प्रेमी
पानी की तरह प्रेम भी निशुल्क होते हुए भी
पानी की तरह प्रेम भी निशुल्क होते हुए भी
शेखर सिंह
দারিদ্রতা ,রঙ্গভেদ ,
দারিদ্রতা ,রঙ্গভেদ ,
DrLakshman Jha Parimal
दुःख ले कर क्यो चलते तो ?
दुःख ले कर क्यो चलते तो ?
Buddha Prakash
क्या मेरा
क्या मेरा
Dr fauzia Naseem shad
उनकी आंखो मे बात अलग है
उनकी आंखो मे बात अलग है
Vansh Agarwal
कैसे लिखूं
कैसे लिखूं
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
रूह की चाहत🙏
रूह की चाहत🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
*”ममता”* पार्ट-1
*”ममता”* पार्ट-1
Radhakishan R. Mundhra
!! रे, मन !!
!! रे, मन !!
Chunnu Lal Gupta
मेरा तितलियों से डरना
मेरा तितलियों से डरना
ruby kumari
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सीमा पर जाकर हम हत्यारों को भी भूल गए
सीमा पर जाकर हम हत्यारों को भी भूल गए
कवि दीपक बवेजा
प्रस्तुति : ताटक छंद
प्रस्तुति : ताटक छंद
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
मैं भारत का जवान हूं...
मैं भारत का जवान हूं...
AMRESH KUMAR VERMA
वर्तमान
वर्तमान
Shyam Sundar Subramanian
धरती पर जन्म लेने वाला हर एक इंसान मजदूर है
धरती पर जन्म लेने वाला हर एक इंसान मजदूर है
प्रेमदास वसु सुरेखा
रस्सी जैसी जिंदगी हैं,
रस्सी जैसी जिंदगी हैं,
Jay Dewangan
कैसी
कैसी
manjula chauhan
हम लड़के हैं जनाब...
हम लड़के हैं जनाब...
पूर्वार्थ
मोहब्बत आज भी अधूरी है….!!!!
मोहब्बत आज भी अधूरी है….!!!!
Jyoti Khari
दोहा छन्द
दोहा छन्द
नाथ सोनांचली
कहने से हो जाता विकास, हाल यह अब नहीं होता
कहने से हो जाता विकास, हाल यह अब नहीं होता
gurudeenverma198
मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर उन्हें नमन।
मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर उन्हें नमन।
Paras Nath Jha
"इंसान की जमीर"
Dr. Kishan tandon kranti
चॉंद और सूरज
चॉंद और सूरज
Ravi Ghayal
3089.*पूर्णिका*
3089.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ये दिन है भारत को विश्वगुरु होने का,
ये दिन है भारत को विश्वगुरु होने का,
शिव प्रताप लोधी
Loading...