प्यार का सागर हैं पिता
प्यार का सागर है पिता
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बचपन में जिसने,उंगली पकड़ चलाया,
मुझे चोट लगने पर —
जिसने मुझे सहलाया।
ऐसे प्यार का सागर है पिता—
जीवन के हर फर्ज निभाकर,
सारी खुशियां दामन में भरकर,
बच्चों के सुख के खातिर!
अपना चैन,अमन भूल जाते,
तपते हैं सूरज की तरह।
ऐसे प्यार का सागर हैं पिता—
कभी शिकायत नहीं करते,
हर दुख हंस कर सह जाते
समुंदर की तरह शांत और,
गंभीर बन जाते!
एक मिसाल है बन जाते,
ऐसे प्यार का सागर हैं पिता—-
में अपने प्यारे पिता को नमन
करती हूं!
जिसने पल-पल हर पथ पर मार्ग दिखा
अपनी मंजिल पर पहुंचाया–
ऐसे प्यार का सागर हैं पिता!!!!
सुषमा सिंह *उर्मि,,
कानपुर