“ पुराने नये सौगात “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल”
पुराने गीतों को कब तक गुनगुनाऊँगा ,
नये रागों को बनाना सीखो !
पुरानी कविताओं को कब तक सुनाऊँगा ,
नयी कविता को रचना सीखो !!
पुराने गीतों को कब तक गुनगुनाऊँगा ,
नये रागों को बनाना सीखो !
पुरानी कविताओं को कब तक सुनाऊँगा ,
नयी कविता को रचना सीखो !!
नया यह दौर है ,
नया परिवेश है ,
नये प्रेमों का ,
अभी श्रीगणेश है !!
पुरानी विधाओं को कब तक दुहराऊँगा ,
नये विधाओं को अपनाना सीखो !
पुरानी कविताओं को कब तक सुनाऊँगा ,
नयी कविता को रचना सीखो !!
चिठ्ठी का युग गया ,
कबूतर भी चला गया ,
डाक तार भूल जाओ ,
मोबाईल युग आ गया !!
कागज कलम दवात कब तक अपनाऊँगा ,
वीडियो कॉल को अपनाना सीखो !
पुरानी कविताओं को कब तक सुनाऊँगा ,
नयी कविता को रचना सीखो !!
तड़पना छोड़ दो ,
आँसूयेँ पोंछ लो ,
विरह भूल जाओ ,
खुशी को बाँट लो !!
प्रतीक्षा में आखिर कब तक बिताऊँगा ,
आपस में बात करना सीखो !
पुरानी कविताओं को कब तक सुनाऊँगा ,
नयी कविता को रचना सीखो !!
युग बदलते हैं ,
जमाने बदलते हैं ,
हर युग में प्रेमों ,
के उपहार मिलते हैं !!
बदले हुए हालत को कब तक बताऊँगा ,
अच्छा लगे उसे अपनाना सीखो !
पुरानी कविताओं को कब तक सुनाऊँगा ,
नयी कविता को रचना सीखो !!
पुराने गीतों को कब तक गुनगुनाऊँगा ,
नये रागों को बनाना सीखो !
पुरानी कविताओं को कब तक सुनाऊँगा ,
नयी कविता को रचना सीखो !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखंड
भारत
1.8.2022.