पितृ वंदना
पितृ वंदना
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नमन करें सभी पितृचरणों का,जो जग का आधार है,
पूर्ण हो जाए संतति आकांक्षा,मिलती खुशियांँ अपार है,
शीश झुकाएं चरणों में उनके,मंजिल फिर होती कदमों में,
अपनाएं जो आदर्शों को उनके,सहज ही सुख संसार है।
नमन करें सभी पितृचरणों का ,जो जग का आधार है…
आए जब नन्हें बालक थे,चलना पिता ने सिखलाया था,
रोते जो बलखा के हम थे,मन को उसने ही बहलाया था,
सोचो तो वो सारे नखरे, हर जिद कैसे पूरी होती थी,
पितृच्छाया में बीता बचपन,वो अनुपम अनंत अविकार है।
नमन करें सभी पितृचरणों का ,जो जग का आधार है…
पिता का दिल मोम सा है,पिघलाना कभी ना ज्ञान की लौ से,
अदब से ही तुम बातें करना,टकराना न निज अहं को उनसे,
पिता की नसीहतों से ही खुलता,संतानों का किस्मत द्वार है,
बढ़े चलो भवचक्र के दुर्गम पथ पर,पिता तो खेवनहार है ।
नमन करें सभी पितृचरणों का ,जो जग का आधार है…
पिता की मजबूरियां तो समझो,क्या है उनकी दुश्वारियां ,
शरीर जब निस्तेज पड़ा हो,पकड़ो अब,तुम भी अंगुलियाँ,
दिखते क्यों वृद्धाश्रम अब तो,ये कैसा कलुषित संस्कार है,
संतति फर्ज़ निभाना होगा,नहीं तो जग में आना बेकार है।
नमन करें सभी पितृचरणों का ,जो जग का आधार है…
मौलिक एवं स्वरचित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १९ /०४ /२०२२