Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Apr 2022 · 1 min read

पिता

तु पिता , तु आशरा मेरा
तु खुशियों का संसार है।
तुमसे ही सुसंगठित परिवार हमारा
तु ही खुशियों की बहार है।

तु बोझ उठाता सबका
तुझमें शक्ति अपार है।
परिवार के तुम दाता
तुमसे ही चलता परिवार है।

खुशियों का आनन्द मेैं पिता से पाता ।
खुद ना खाता हमें खिलाता ।
खुद न सोता हमें सुलाता ।
कितना भी दुख पिता उठाता ।
फिर भी हँसता और मुस्काता ।
हमारी खुशियों के लिये
पिता हमारा कितना बोझ उठाता ।

देख हमारी आँखों मे आँसू
दिल उसका भर आता ।
कहा मिलता इतना प्यार
जो पिता हमारे लिये लेकर आता।
जो खुद नही खाता।
हमारे लिये न जाने क्या – क्या लेकर आता ।

छोटा-सा परिवार अपना ।
बडा रोल पिता निभाता।
बीत गये है वो पल
आज भी पिता का प्यार हमे याद आता।

भले ही साथ ना हो वो हमारे
उसका अहसास हमें, हर मुश्किलों से लडना सिखाता।
मुश्किल था खुद को समझाना।
आज दुनिया में,पिता से बढकर कोई नजर नही आता।
माता है प्यारी अपनी
उसकी ममता में जीवन अपना सफल हो जाता।
पिता परमेश्वर अपने सब आशीष उन्ही से आता।
हे पिता परमेश्वर मेरे
सब खुशियाँ मैं तुमसे पाता।
हे नमन पिता के कमल चरणों में
उसके आभार से जीवन अपना सफल हो जाता ।
*** *** *** *** **** ***
* Swami Ganganiya *

5 Likes · 5 Comments · 545 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Swami Ganganiya
View all

You may also like these posts

कभी-कभी ऐसा लगता है
कभी-कभी ऐसा लगता है
Suryakant Dwivedi
प्रेम दिवानी
प्रेम दिवानी
Pratibha Pandey
कुछ लोग ऐसे हैं दुनिया में
कुछ लोग ऐसे हैं दुनिया में
Ajit Kumar "Karn"
वो जाने क्या कलाई पर कभी बांधा नहीं है।
वो जाने क्या कलाई पर कभी बांधा नहीं है।
सत्य कुमार प्रेमी
हरिगीतिका छंद विधान सउदाहरण ( श्रीगातिका)
हरिगीतिका छंद विधान सउदाहरण ( श्रीगातिका)
Subhash Singhai
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
कुण्डलिया छंद
कुण्डलिया छंद
सतीश तिवारी 'सरस'
ज़िन्दगी को है शाद बस ज़रूरत तेरी
ज़िन्दगी को है शाद बस ज़रूरत तेरी
Dr fauzia Naseem shad
The new normal- Amidst the Pandemic
The new normal- Amidst the Pandemic
Deep Shikha
बोतल में अमृत
बोतल में अमृत
Dr.Priya Soni Khare
जीवन का सार
जीवन का सार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
कहानी कोई भी हो
कहानी कोई भी हो
SATPAL CHAUHAN
फितरत की कहानी
फितरत की कहानी
प्रदीप कुमार गुप्ता
4782.*पूर्णिका*
4782.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरे अधरों का राग बनो ।
मेरे अधरों का राग बनो ।
अनुराग दीक्षित
वैसे तो होगा नहीं ऐसा कभी
वैसे तो होगा नहीं ऐसा कभी
gurudeenverma198
बेजुबान और कसाई
बेजुबान और कसाई
मनोज कर्ण
बेख़्वाईश ज़िंदगी चुप क्यों है सिधार गयी क्या
बेख़्वाईश ज़िंदगी चुप क्यों है सिधार गयी क्या
Kanchan Gupta
बदल सकती है तू माहौल
बदल सकती है तू माहौल
Sarla Mehta
उधार
उधार
विशाल शुक्ल
छंद मुक्त कविता : जी करता है
छंद मुक्त कविता : जी करता है
Sushila joshi
" पिंजरा "
Dr. Kishan tandon kranti
मृगतृष्णा
मृगतृष्णा
श्रीहर्ष आचार्य
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
विश्वास
विश्वास
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
महाशिवरात्रि-पर्व!
महाशिवरात्रि-पर्व!
Prabhudayal Raniwal
दोहा
दोहा
Raj kumar
प्रीतम का साथ
प्रीतम का साथ
इंजी. संजय श्रीवास्तव
Exercise is not expensive, Medical bills are.
Exercise is not expensive, Medical bills are.
पूर्वार्थ
Loading...