पाकर भी तुझको ज़िन्दगी पाया नहीं कभी
पाकर भी तुझको ज़िन्दगी पाया नहीं कभी
कहते हैं जिसको जीना वो आया नहीं कभी
चाहें किये हो कर्म भलाई के कम बहुत
पर नेकियों को अपनी भुनाया नहीं कभी
खाते कदम कदम पे रहे ठोकरें यहाँ
पर आस के दिए को बुझाया नहीं कभी
हम दूर मंज़िलों से ही रहते रहे मगर
कमजोर को यहाँ पे गिराया नहीं कभी
हमने किसी की आह ले संसार में सुनो
कोई महल ख़ुशी का बनाया नहीं कभी
डॉ अर्चना गुप्ता