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श्याम सांवरा
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26 Nov 2024 · 1 min read
किसे सुनाऊं मैं,
किसे सुनाऊं मैं,
मेरे दुखों कि दास्तां।
अब तो आसियाना भी,
पहचानता नहीं।।
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