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9 Jul 2024 · 1 min read

है बात मेरे दिल की दिल तुम पे ही आया है।

गज़ल

221/1222/221/1222
है बात मेरे दिल की दिल तुम पे ही आया है।
दिल अपना सनम मैंने तुम पर ही लुटाया है।1

मैं प्रेम पुजारी हूं तुम प्यार की मूरत हो,
मन मंदिर में दिलवर तुमको ही सजाया है।2

जीने के पड़े लाले दुनियां मे कहर बरपा,
महफूज़ हैं जो उन पर उस रब का ही साया है।3

कितने ही रहे पीते साकी तेरे हाथों से,
अब होश कहां जिनको आंखों से पिलाया है।4

थीं नज़्म ग़ज़ल कितनी, दिल तक न मेरे पहुंचीं,
जो गीत हृदय छू ले, अब तूने सुनाया है।5

अब प्यार में सीमा क्या है देश विदेशों की,
ये इश्क या धोखा है जो जाल बिछाया है।6

जो प्यार के परवाने जलते हैं मुहब्बत में,
उनको तो मिले “प्रेमी” कुछ और न भाया है।7

………✍️ सत्य कुमार प्रेमी

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