पवित्र बन्धन
इबादत करूँ मैं अल्लाह की
रात की चान्दनी देखूँ तबसे
मुकम्मल दास्तां की धरोहर में
ख्वाबों के सपनों मैं, सजाऊँ कैसे ?
प्रेम भाव के आलिङ्गन में समाऊँ
तन – मन ह्रदय में छा जाऊँ सन्सार
हजरत मोहम्मद के पैग़ामों से
जन-जन भाईचारा का सन्देश जगाऊँ
विजय सन्देश पवित्र बन्धन है
ईदों के त्यौहारों का तोहफा विस्मित
क़यामत दलहीज खुदा कुर्बान मैं
दस्तूर है मुबारकबाद का अपना
कण-कण से होता जगजीवन निर्माण
खुदा है जो करता विश्वकल्याण
मानवीयता बना जन्नत दरवाजा
महफूज़ रहूँ सदा भवजाल से
शशि शहञ्शाह फरिश्ता अपना
मोहब्बत सरताज सरफरोशी सरसी
हो जाऊँ प्रभा तम तिमिर में
घन-घन घनश्याम बून्द-बून्द बने हम