जगत कंटक बिच भी अपनी वाह है |
জপ জপ কালী নাম জপ জপ দুর্গা নাম
*वर्तमान पल भर में ही, गुजरा अतीत बन जाता है (हिंदी गजल)*
नहीं चाहता मैं किसी को साथी अपना बनाना
अरे योगी तूने क्या किया ?
काव्य की आत्मा और सात्विक बुद्धि +रमेशराज
खिचे है लीक जल पर भी,कभी तुम खींचकर देखो ।
*********** आओ मुरारी ख्वाब मे *******
हर जमीं का आसमां होता है।
मेरी अना को मेरी खुद्दारी कहो या ज़िम्मेदारी,
मूझे वो अकेडमी वाला इश्क़ फ़िर से करना हैं,
जिसको ढूँढा किए तसव्वुर में
रुके ज़माना अगर यहां तो सच छुपना होगा।
"तर्के-राबता" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
अब ना होली रंगीन होती है...
किसी भी रूप में ढ़ालो ढ़लेगा प्यार से झुककर