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20 May 2023 · 1 min read

बचपन कितना सुंदर था।

बचपन मे कितना नुर रहता था।
मन मे आनंद‌ प्रचुर रहता था।
जी ले हर पल कहता था।
बचपन मे कितना नुर रहता था।

हर पल सुरुर रहता था।
खुद पर गुरुर रहता था।
यौवन का इंतजार रहता था।
बचपन मे कितना नुर रहता था।

तनाव मन से दूर रहता था।
खुशी मे मन चुर रहता था।
चिंता को नासुर कहता था।
बचपन मे कितना नुर रहता था।

अपनेपन का भंडार रहता था।
मन से भाव व्यक्त कर कहता था।
बेझिझक खुलकर हंसता रहता था।
बचपन मे कितना नुर रहता था।

माना कि दिल मे जरा डर रहता था।
पर मर्जी कर अक्सर कहता था।
मैं हुं ना, ना डर कहता था।
बचपन मे कितना नुर रहता था।

कोई दबाव ना मन पर रहता था।
संगीत का प्रभाव रहता था।
जीवन से लगाव रहता था।
बचपन मे कितना नुर रहता था।

धुप बारिश का डर ना रहता था।
खेलने का जोश हर प्रहर रहता था।
हर मौसम का कहर सहता था।
बचपन मे कितना नुर रहता था।

बर्फ का गोला खाने को तैयार रहता था।
इमली से दूर ना रहता था।
अचार खाकर डर ना रहता था।
बचपन मे कितना नुर रहता था।

जी ले हर पल कहता था।
बचपन मे कितना नुर रहता था।
बचपन मे कितना नुर रहता था।

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