पर्यावरण संरक्षण (संक्षिप्त कहानी)
बिट्टु स्कूल से आया और आते ही अपने दादा से कहने लगा “आज मालूम दादू हम बच्चों को शिक्षिका एक बगीचे में ले गयी” और पर्यावरण के संबंध में हमें महत्व समझा रही थी । सामान्य विज्ञान के विषय में “पर्यावरण संरक्षण” का जो पाठ है न, दादू, वे पेड़-पौधों के बारे में जानकारी दें रहीं थीं और बता रहीं थीं कि पेड़ हमारे स्वास्थ्य के लिए कितने लाभदायक है, जिनकी वजह से हमें शुद्ध ऑक्सीजन प्राप्त होती है ।
“मैं जब आपको रोज बागवानी करते हुए देखता हूं, दादू, मुझे आपसे बहुत प्रेरणा मिलती है ” । आप ये बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं, मैंने अपनी शिक्षिका को भी बताया कि हमारे घर के बगीचे में हर प्रकार के पौधे लगाए हैं, दादाजी ने मेरे ।
दूसरे दिन जब बिट्टु स्कूल से आया, तो आते ही दादू से बोला,” दादू, कल शिक्षिका ने आपको स्कूल में बुलाया है” ।
बिट्टु दादु के साथ स्कूल जाता है, तो शिक्षिका दादाजी से कहती हैं, स्कूल में बच्चों की सभा रखी है, जिसमें आप बच्चों को “पर्यावरण संरक्षण” के संबंध में विस्तृत जानकारी दिजीएगा और यह सुझाव दें कि हम बच्चों को उपहार स्वरूप क्या भेंट करें कि बच्चे यादगार रूप में हमेशा याद रखें । ” दादु बोले, शिक्षिका जी मैं बच्चों को जब “पर्यावरण संरक्षण” के बारे में जानकारी दूंगा, तभी मैं सरप्राइज उपहार बच्चों को अपनी तरफ से दूंगा” ।
रविवार के ही दिन स्कूल में बच्चों की सभा आयोजित की जाती है और बिट्टु दादु के साथ स्कूल पहूंच जाता है । अन्य लोगों को भी सम्मानित करने के लिए स्कूल में बुलाया जाता है, लेकिन इसके पूर्व दादाजी ने ” पर्यावरण संरक्षण” के विकास के लिए अपना भाषण शुरू किया,” सामान्य अर्थों में यह हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और घटनाओं से मिलकर बनी इकाई है। यह हमारे चारों ओर व्याप्त है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसी पर निर्भर करती और संपादित होती हैं। मनुष्यों द्वारा की जाने वाली समस्त क्रियाएं पर्यावरण को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं। इस प्रकार किसी जीव और पर्यावरण के बीच का संबंध भी होता है, जो कि अन्योन्याश्रित है” ।
मानव हस्तक्षेप के आधार पर पर्यावरण को दो भागों में बांटा जा सकता है, जिसमें पहला है प्राकृतिक या नैसर्गिक पर्यावरण और मानव निर्मित पर्यावरण । यह विभाजन प्राकृतिक प्रक्रियाओं और दशाओं में मानव हस्तक्षेप की मात्रा की अधिकता और न्यूनता के अनुसार है ।
पर्यावरणीय समस्याएं जैसे प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन इत्यादि मनुष्य को अपनी जीवनशैली के बारे में पुनर्विचार के लिये प्रेरित कर रही हैं और अब पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण प्रबंधन की आवश्यकता महत्वपूर्ण है ।
अंत में दादाजी ने सभी बच्चों को सरप्राइज उपहार के रूप में “तुलसी के पौधे” प्रदान किए ताकि वहीं तुलसी का पौधा पनपने के साथ ही साथ शुद्ध ऑक्सीजन दे, जो बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य हेतु हितकारी साबित हो, साथ ही यादगार भी रहे ।