Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jun 2023 · 2 min read

पर्यावरण और प्रकृति

पर्यावरण और प्रकृति का
मानव ने बनाया क्या ये हाल।
आधुनिकता और नवीनीकरण के नाम पर
चलने लगे अब उलट ही चाल

कुछ सौ वर्ष हम पीछे जाएं
जीवन सरलता से पूर्ण पाएं ।
आज अजीब से मोड़ पर
मानव जीवन है खड़ा।
विनाश की राहों पर क्यों
अनजाने अग्रसर हो चला।

औद्योगिक क्रांति लाने को
खुद को उत्कृष्ट बताने को ।
वायु, जल और पृथ्वी को
नश्वर स्वयं ही कर चला ।

नवीनीकरण के नाम पर
अरण्य असंख्य काटे हैं ।
हरे भरे तरुओं की जगह पर
इमारतों के जंगल गाड़े हैं।

जलीय तटीय पशु -पक्षी
इनके घर भी उजड़े हैं
बस अपना घर बसाने को हम
इनका अस्तित्व नकारें हैं।

कारखाने- उद्योग, रात -दिन
विष, वायु- जल में उगले है
सांसे लेना दूभर है पर
फिर भी सब खामोश हैं
जीवन खुशियों को तरसे है।

प्रदूषण और जनसंख्या को
भरकस हमने बढ़ाया है
हमने दिन -रात बढ़ाया है।
वातावरण और पृथ्वी के
संतुलन को स्वंय ही बिगाड़ा है ।

जब आंख खुली तब ज्ञात हुआ।
कितना कुछ गंवाया है
दुर्लभ अति दुर्लभ पशु -पक्षी
जल स्त्रोत्र, हिमशिखरों
से खुद को वंचित पाया है।

असर हमारे अज्ञान का
तत्काल सामने आया है
कोरोना के रूप में देखो
विश्व पर राज जमाया है।

मानव -मानव से दूर हुआ
जीवन क्षण-भंगुर हुआ।
यहां-वहां नज़र जाए जहाँ
लशुन के ढेर नज़र आते।

फिर याद पुरानी आती है
दिल खून के आंसू रोता है।
प्राचीन मूल्यों को त्याग मनुष्य
घर मे बंद तरसता है।

आओ करें मिल प्रण आज ।
सादा जीवन व्यतीत करें ।
योग , सरलता को अपना
पर्यावरण को स्वच्छ करें।

नव जीवन का संचार हो फिर
फिर से खुशियां मुस्काये ।

153 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dhriti Mishra
View all
You may also like:
दिनकर/सूर्य
दिनकर/सूर्य
Vedha Singh
*बहुत सुंदर इमारत है, मगर हमको न भाती है (हिंदी गजल)*
*बहुत सुंदर इमारत है, मगर हमको न भाती है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तूने ही मुझको जीने का आयाम दिया है
तूने ही मुझको जीने का आयाम दिया है
हरवंश हृदय
आत्मसंवाद
आत्मसंवाद
Shyam Sundar Subramanian
गिरगिट को भी अब मात
गिरगिट को भी अब मात
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
देशभक्त
देशभक्त
Shekhar Chandra Mitra
इसरो का आदित्य
इसरो का आदित्य
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कहें किसे क्या आजकल, सब मर्जी के मीत ।
कहें किसे क्या आजकल, सब मर्जी के मीत ।
sushil sarna
बापू
बापू
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मुहब्बत का ईनाम क्यों दे दिया।
मुहब्बत का ईनाम क्यों दे दिया।
सत्य कुमार प्रेमी
एक सलाह, नेक सलाह
एक सलाह, नेक सलाह
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
आसान कहां होती है
आसान कहां होती है
Dr fauzia Naseem shad
पत्र गया जीमेल से,
पत्र गया जीमेल से,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
उठो पुत्र लिख दो पैगाम
उठो पुत्र लिख दो पैगाम
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जिसका इन्तजार हो उसका दीदार हो जाए,
जिसका इन्तजार हो उसका दीदार हो जाए,
डी. के. निवातिया
वे वादे, जो दो दशक पुराने हैं
वे वादे, जो दो दशक पुराने हैं
Mahender Singh
इंसानियत
इंसानियत
साहित्य गौरव
कविता-हमने देखा है
कविता-हमने देखा है
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
पराठों का स्वर्णिम इतिहास
पराठों का स्वर्णिम इतिहास
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
अब तो ऐसा कोई दिया जलाया जाये....
अब तो ऐसा कोई दिया जलाया जाये....
shabina. Naaz
"अधूरी कविता"
Dr. Kishan tandon kranti
😢दंडक वन के दृश्य😢
😢दंडक वन के दृश्य😢
*Author प्रणय प्रभात*
वृक्ष बड़े उपकारी होते हैं,
वृक्ष बड़े उपकारी होते हैं,
अनूप अम्बर
मैं हैरतभरी नजरों से उनको देखती हूँ
मैं हैरतभरी नजरों से उनको देखती हूँ
ruby kumari
मैं वो चीज़ हूं जो इश्क़ में मर जाऊंगी।
मैं वो चीज़ हूं जो इश्क़ में मर जाऊंगी।
Phool gufran
24/225. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/225. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
औरत तेरी गाथा
औरत तेरी गाथा
विजय कुमार अग्रवाल
‘’ हमनें जो सरताज चुने है ,
‘’ हमनें जो सरताज चुने है ,
Vivek Mishra
Loading...