Posts Tag: पर्यावरण 8 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dr. Pradeep Kumar Sharma 2 Aug 2023 · 1 min read स्पेशल अंदाज में बर्थ डे सेलिब्रेशन स्पेशल अंदाज में बर्थ डे सेलिब्रेशन “दादाजी इस साल मैं अपना बर्थ डे स्पेशल अंदाज में मनाना चाहता हूँ. इसके लिए मुझे आपकी मदद चाहिए.” चिंटू ने दादा जी से... Hindi · अभिभावक · पर्यावरण · लघुकथा · वृक्षारोपण · स्पेशल 160 Share Dhriti Mishra 13 Jun 2023 · 2 min read पर्यावरण और प्रकृति पर्यावरण और प्रकृति का मानव ने बनाया क्या ये हाल। आधुनिकता और नवीनीकरण के नाम पर चलने लगे अब उलट ही चाल कुछ सौ वर्ष हम पीछे जाएं जीवन सरलता... Poetry Writing Challenge · कविता · पर्यावरण · पर्यावरण दिवस · प्रकृति · विश्व पृथ्वी दिवस 154 Share Kavita Chouhan 5 Jun 2023 · 1 min read धरा धरा करुण क्रन्दन करती प्रतिक्षण पीड़ा से तड़पती रसायनों को रोकना होगा प्रकृति को सहेजना होगा आओ मिलकर ये प्रण करें माँ धरती की हम गोद भरें हरी-भरी धानी चुनर... Hindi · कविता · पर्यावरण · पर्यावरण दिवस विशेष 1 1 349 Share surenderpal vaidya 1 May 2023 · 1 min read हम रहें आजाद ** गीतिका ** ~~ चाहते पंछी हमेशा हम रहें आजाद। किन्तु कर पाते नहीं बेबस कहीं फरियाद। सूखती ही जा रही नदियों की पावन धार। और बढ़ती जा रही इनमें... Hindi · कविता · गीतिका · पर्यावरण 209 Share Dr Archana Gupta 6 Jun 2021 · 1 min read आओ पर्यावरण को सुरक्षित करें आओ पर्यावरण को सुरक्षित करें रंग हरियाली के खूब इसमें भरें हैं बनाये प्रकृति ने बहुत से नियम तोड़ने से उन्हें हम हमेशा डरें ना दुखी हो धरा, ना कुपित... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · पर्यावरण · बाल ग़ज़ल 3 3 284 Share Dr Archana Gupta 11 May 2019 · 1 min read पर्यावरण खूबसूरत धरा बना देंगे पेड़ों से हम इसे सजा देंगे प्यार से देखभाल करके हम कष्ट धरती के सब मिटा देंगे फिर यहाँ चहचहायेंगे पंछी फूलों से हम चमन खिला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · पर्यावरण · बाल ग़ज़ल 1 433 Share Dr Archana Gupta 9 Sep 2017 · 1 min read पेड़ चुपचाप आँसू बहाते रहे काट जंगल नगर हम बसाते रहे पेड़ चुपचाप आँसू बहाते रहे पेट जिसने भरा और दी छाँव भी आरियाँ उस बदन पर चलाते रहे झूलते हम रहे डाल जिसकी पकड़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · पर्यावरण · बाल ग़ज़ल 396 Share Dr Archana Gupta 27 Sep 2016 · 1 min read फीकी फीकी है हरियाली नहीं गगन में है वो लाली फीकी फीकी है हरियाली अन्न हवा पानी ले दूषित तन मन ने बीमारी पाली भौतिकता में चूर हुए हम जीवन कितना दिखता जाली आँखे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · पर्यावरण · बाल ग़ज़ल 2 659 Share