परमपिता तेरी जय हो !
झरनों के बहते कल – कल में, सुनी है तेरी ही आवाज
इंद्रधनुष के सतरंगों में, देखा तेरा ही अंदाज |
प्रेम की परिभाषा में ,देखा तेरे हुनर का आगाज
मोर के बिखरे मोर पंखों में तेरी ही माया सरताज |
महसूस किया तुझे जब देखा मछली की तैराकी , पक्षियों की परवाज़
शूर का तेरे लोहा माना , बने जो सैनिक – वीर जांबाज |
कण-कण में और क्षण – क्षण में देखी है तेरी माया
निराकार या साकार- रूप तेरा मैंने अपनाया |
तुच्छ प्राणी मैं ,पर अंश हूं तेरी
क्षमावान बन, रख लाज तू मेरी
तेरी आभा उगता सूरज,
खुशबु तेरी मानो चन्दन
सदैव रहे होटों पर मेरे
तेरी स्तुति, तेरा वंदन !