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27 Sep 2018 · 1 min read

नीलम

नीलम
(मित्र श्री रामकुमार मण्डल व श्रीमती नीलम मण्डल को समर्पित)
मृग सा न दौड़ तू
ढूंढ मत कस्तूरी अनुपम।
जो मिला पर्याप्त है
आँक कभी न इसको कम।
मोती-मूंगे का क्या करेगा तू
पागल,तेरे पास तो रतन नीलम।
नीलम तेरे गले की हार,
नीलम तेरी अलंकार बनी।
तू नीलम के प्राणपति
नीलम तेरा प्राणाधार बनी।
सरगमी धुनों से,हर पल
हर पग झँकृत हो।
इन्द्रधनुषी रंगों से,
नवजीवन तेरा अलंकृत हो।
अब तफरी को छोड़ दे रामू,
नीलम रूपी रतन से नेह लगा।
फुर्सत के पल हो सदा मनोरम
मिल बैठ प्रेम की अलख जगा।।

-©नवल किशोर सिंह
05-05-1995

Language: Hindi
1 Like · 548 Views
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