Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Feb 2024 · 2 min read

शब्द✍️ नहीं हैं अनकहे😷

शब्द कभी भी,
अनकहे नहीं होते,
अनकहे होते हैं अर्थ,
चाहे वो राग हो,
अनुराग हो,
विराग* हो कुछ पल का,
या चिरकाल प्रभावी वार*।।

प्रकाश प्रारंभ है,
अर्थ का संकेत है,
दिन के कर्तव्य ,
अस्त वेला* है,
अवसान* वापसी का,
इनमें कोई शब्द नहीं है,
फिर भी,
अर्थ छिपे हैं अनेक,
स्व प्रयोजनपरक,
प्रकार – प्राकार*।।

फलत: उन अर्थों से कभी -कभी ,
हो जाता है अनर्थ,
जानकी – हरण जैसा हठ,
अपना कुल* , कुल* दग्ध,
पुनरपि दुर्दम विकार,
वासना का भार ,
ढोकर धराशयी ,
होता जानकार।।

अर्थों से ही ,
छिड़ जाता है समर,
महाभारत -सा ,
बिखर जाता है ,
अहम्भाव का ,
संचित झूठा भण्डार ,
बिछड़ जाता है ,
परिवार -संसार ,
बिखर जाता है,
जतन से जोड़ा गया,
रिश्ता – कुटुंब ,
अपनेपन का सम्भार*।।

फिसल जाता है ,
कदम समझदारी का,
वर्षों से संभाले,
अपने आचार – वसन* का,
विद्वेष जग उठता है,
कुविचारों का,
सागर के ज्वार समान,
मृगतृष्णा-अतृप्त नार*।।

भाव जाग उठता है,
वहम का,
फिर वही बदल जाता
अहम में आदतन,
हम में मजबूरन,
आप में यकीनन,
मूल* भूला देते सब,
समता का समतल,
बदल जाता व्यवहार।।

इसीलिए विचार कर,
बोलो! बोली,
बोले शब्द ही ,
शत – सहस्त्र अब्द* तक भी,
प्रभावी होते हैं,
सार्थक ,
ईसवी और हिजरी* से भी,
प्राचीनतम विक्रम संवत् तक।।

पलटिए पृष्ठ ,
प्रमाण – पुस्तक के,
पुश्तों* की ,
उनके शब्द और विचार,
गंभीर भावों की,
माप लीजिए ,
नैतिक – भांप को,
नाप लीजिए पुरातन,
आलाप को,
चिरंतन और व्यापक स्तर पर।
शब्द सच में अनकहे हो नहीं सकते ,
अर्थ हैं अनकहे।।

संकेत शब्द: –
1 वैराग्य 2 प्रहार 3* समय 4* विराम 5 *दीवार 6 *समस्त 7 *परिवार 8 *साधन 9 *कपड़ा 10 मनुष्य 11 मुख्य 12* वर्ष 13 *मुस्लिम कालक्रम 14 *पीढ़ी
##समाप्त

2 Likes · 79 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
3309.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3309.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
■ अखंड भारत की दिशा में प्रयास का पहला चरण।
■ अखंड भारत की दिशा में प्रयास का पहला चरण।
*Author प्रणय प्रभात*
पुकार
पुकार
Dr.Pratibha Prakash
क्यूँ इतना झूठ बोलते हैं लोग
क्यूँ इतना झूठ बोलते हैं लोग
shabina. Naaz
बरगद और बुजुर्ग
बरगद और बुजुर्ग
Dr. Pradeep Kumar Sharma
वो ज़माने चले गए
वो ज़माने चले गए
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
बहाव के विरुद्ध कश्ती वही चला पाते जिनका हौसला अंबर की तरह ब
बहाव के विरुद्ध कश्ती वही चला पाते जिनका हौसला अंबर की तरह ब
Dr.Priya Soni Khare
दीवारें ऊँचीं हुईं, आँगन पर वीरान ।
दीवारें ऊँचीं हुईं, आँगन पर वीरान ।
Arvind trivedi
तुम आये तो हमें इल्म रोशनी का हुआ
तुम आये तो हमें इल्म रोशनी का हुआ
sushil sarna
** समय कीमती **
** समय कीमती **
surenderpal vaidya
लोग आपके प्रसंसक है ये आपकी योग्यता है
लोग आपके प्रसंसक है ये आपकी योग्यता है
Ranjeet kumar patre
Ye din to beet jata hai tumhare bina,
Ye din to beet jata hai tumhare bina,
Sakshi Tripathi
फ़ासला गर
फ़ासला गर
Dr fauzia Naseem shad
दो किसान मित्र थे साथ रहते थे साथ खाते थे साथ पीते थे सुख दु
दो किसान मित्र थे साथ रहते थे साथ खाते थे साथ पीते थे सुख दु
कृष्णकांत गुर्जर
रामावतार रामायणसार 🙏🙏
रामावतार रामायणसार 🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दिल की पुकार है _
दिल की पुकार है _
Rajesh vyas
बरगद पीपल नीम तरु
बरगद पीपल नीम तरु
लक्ष्मी सिंह
बड़ा मन करऽता।
बड़ा मन करऽता।
जय लगन कुमार हैप्पी
कता
कता
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
न ठंड ठिठुरन, खेत न झबरा,
न ठंड ठिठुरन, खेत न झबरा,
Sanjay ' शून्य'
मुक्तक - वक़्त
मुक्तक - वक़्त
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जीवन का मुस्कान
जीवन का मुस्कान
Awadhesh Kumar Singh
जो चाकर हैं राम के
जो चाकर हैं राम के
महेश चन्द्र त्रिपाठी
जय श्री कृष्णा राधे राधे
जय श्री कृष्णा राधे राधे
Shashi kala vyas
मेरे मित्र के प्रेम अनुभव के लिए कुछ लिखा है  जब उसकी प्रेमि
मेरे मित्र के प्रेम अनुभव के लिए कुछ लिखा है जब उसकी प्रेमि
पूर्वार्थ
माता के नौ रूप
माता के नौ रूप
Dr. Sunita Singh
नये पुराने लोगों के समिश्रण से ही एक नयी दुनियाँ की सृष्टि ह
नये पुराने लोगों के समिश्रण से ही एक नयी दुनियाँ की सृष्टि ह
DrLakshman Jha Parimal
सैनिक के संग पूत भी हूँ !
सैनिक के संग पूत भी हूँ !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
दोस्त न बन सकी
दोस्त न बन सकी
Satish Srijan
"आशिकी"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...