बाबा तेरा इस कदर उठाना ...
आज के दौर के मौसम का भरोसा क्या है।
न जाने क्यों अक्सर चमकीले रैपर्स सी हुआ करती है ज़िन्दगी, मोइ
(((((((((((((तुम्हारी गजल))))))
खोदकर इक शहर देखो लाश जंगल की मिलेगी
सरकारों के बस में होता हालतों को सुधारना तो अब तक की सरकारें
जितने श्री राम हमारे हैं उतने श्री राम तुम्हारे हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मैं प्रेम लिखूं जब कागज़ पर।
पन्नें
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
किसी के साथ सोना और किसी का होना दोनों में ज़मीन आसमान का फर
हमने उनकी मुस्कुराहटों की खातिर
जै जै अम्बे
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर