जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
कोमल चितवन
Vishnu Prasad 'panchotiya'
Ajeeb hai ye duniya.......pahle to karona se l ladh rah
*अज्ञानी की कलम शूल_पर_गीत
13) “धूम्रपान-तम्बाकू निषेध”
संवेदना सहज भाव है रखती ।
जहां तक रास्ता दिख रहा है वहां तक पहुंचो तो सही आगे का रास्त
-- मंदिर में ड्रेस कोड़ --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
चिट्ठी तेरे नाम की, पढ लेना करतार।
तपाक से लगने वाले गले , अब तो हाथ भी ख़ौफ़ से मिलाते हैं
सुना है सपनों की हाट लगी है , चलो कोई उम्मीद खरीदें,
रास्ते और राह ही तो होते है
ग़ज़ल - ज़िंदगी इक फ़िल्म है -संदीप ठाकुर
इसमें हमारा जाता भी क्या है
*सभी ने सत्य यह माना, सभी को एक दिन जाना ((हिंदी गजल/ गीतिका