मकान जले तो बीमा ले सकते हैं,
चढ़ा नहीं दिल की कभी,जो मेरी दहलीज ।।
मेरी ख़्वाहिश ने मुझ को लूटा है
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ग़ज़ल की ये क़िताब,
#संवाद (#नेपाली_लघुकथा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"मेरे पाले में रखा कुछ नहीं"
ज़िंदगी जीने को कुछ वक्त बाकी है!!
गंगा- सेवा के दस दिन (आठवां दिन)
खुशियों के दीप जलाना हैं! शुभ दीपावली