नियति
एक नन्ही सी कली ,
लंबे अरसे बाद मिली ,
अब तो वह एक
सुंदर फूल बन खिली ,
हंसती सबको हंसाती ,
खुशियों के प्रपात बिखराती ,
सबसे हिली मिली ,
सबको संग लेकर चली ,
उसके आने से सोच को
एक नई दिशा मिली ,
लेकिन एक दिन वह अचानक
कहीं गुम हो कर रह गई ,
अजनबियों के चक्र में उलझ ,
अपनों को भूल गई ,
उसकी यादों के बादल
मनस पटल पर मंडराते है ,
यही प्रारब्ध है , सोचकर हम
मन को बहलाते हैं ।