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23 Apr 2024 · 1 min read

नियति

एक नन्ही सी कली ,
लंबे अरसे बाद मिली ,

अब तो वह एक
सुंदर फूल बन खिली ,

हंसती सबको हंसाती ,
खुशियों के प्रपात बिखराती ,

सबसे हिली मिली ,
सबको संग लेकर चली ,

उसके आने से सोच को
एक नई दिशा मिली ,

लेकिन एक दिन वह अचानक
कहीं गुम हो कर रह गई ,

अजनबियों के चक्र में उलझ ,
अपनों को भूल गई ,

उसकी यादों के बादल
मनस पटल पर मंडराते है ,

यही प्रारब्ध है , सोचकर हम
मन को बहलाते हैं ।

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