*ना होना तुम उदास*
ना होना तुम उदास
सपनों के हर उड़ान में
अंबर दिखता है नीला।
एक बार के प्रयास से
गले लग जाए अगर निराशा
तब विचलित न होना मार्ग से
पुन: प्रयास करना कठिन कार्य से
सपने तो कांच से भी नाजुक होते हैं,
जब टूटते हैं,
धरा पर ही बिखर जाते हैं।
पर तुम सफलता के सपने
देखो दिन-रात
मंजिल को न पाने की आस में
ना होना तुम उदास,
आशा भरी आंखों से देखो
यह जग कितना सुंदर दिखता है।
लगन परिश्रम और धैर्य से
सफलता मनमोहन लगता है।
दृढ़ निश्चय और कठिन परिश्रम
करो रात-दिन
सफलता तुम्हारे चरणों को
सलाम करेगी एक दिन।
रचनाकार
कृष्णा मानसी
(मंजू लता मेरसा)
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)