ना आप.. ना मैं…
कई अर्से तक
अपने आप को
टालते रहा..
अपने आप से
छुपते रहा मैं…
और एक दिन
आईने से मुलाक़ात
हो गयी मेरी…
अब मैं अपने
आपको जानने लगा हूँ
मैने अपने आपसे
दोस्ती का हाथ भी
बढ़ा लिया है दोस्त…
जब भी मुझे
भूलने की
कोशिश करोगे
आईने के सामने
एक दफ़ा जरूर
खड़े रहना तुम…
मैं तुम्हे आईने
में तस्वीर बन
नजर आऊँगा
आखिर कोई
आईने से मुँह छुपा
नही सकता…!
ना आप.. ना मैं…
©® ‘अशांत’ शेखर
17/05/2023