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23 Jul 2019 · 1 min read

#ग़ज़ल-16

वज़्न-212-212-212-212

आप ही आइना हो मिरा प्यार हो
ज़िन्दगी है तुझी से तुम्ही यार हो/1

आइए साथ हम तय करें ये सफ़र
फूल-बू की तरह ज़िंदगी पार हो/2

हो खुशी ज़िंदगी में सदा जीत की
हार के भी जहां ना कभी हार हो/3

चाँद से चाँदनी सूर्य से रोशनी
प्यार का इक यही मौन आधार हो/4

मीन जल के बिना कब रही है यहाँ
नाव साहिल लगे हाथ पतवार हो/5

मैं दुवा ये करूँ रब मिले जब मुझे
हरघड़ी यार का साथ इज़हार हो/6

प्रीत प्रीतम करे मेघ-सी होश में
खुद मिटे पर ज़मीं एक गुलज़ार हो/7

–आर.एस.प्रीतम
सर्वाधिकार सुरक्षित–radheys581@gmail.com

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