नारी
भारत माता धर्म धरा रही है,
यहाँ नारी सम्मान परंपरा रही है।
यह नारी सम्मान में कविता है,
नारी आदर-मान मे कविता है।।
भारतीय इतिहास है सम्मान का,
महिला प्रतीक है स्वाभिमान का।
कोई अन्याय नहीं होना चाहिये,
घर बाहर सम्मान होना चाहिये।।
सर्वगुण संपन्न हमारी मातृशक्ति है,
वे अग्रणी है श्रेष्ठ उनकी भक्ति है।।
वे नारी तो जग जननी भवानी है,
न बराबर उसके सबसे स्यानी है।।
मातृशक्ति में सहनशक्ति महान है।
हे मातृशक्ति नित नवण प्रणाम है।।
‘पृथ्वीसिंह’ अभी संभलो समय है।
नारी में नारीत्व नित ममतामय है।।
– कवि पृथ्वी सिंह बैनीवाल
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