Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 May 2018 · 1 min read

नारी दुर्दशा

जस्टिस फ़ॉर आसिफा का नारा सब ले लेते है,
पुनः कांड निर्भया हो जाता फिर कुछ दिन रो लेते है।
कौन नहीं जाने उन नरभक्षी हत्यारों को ,
फिर भी चुप बैठे है सब दबाये अपने आँगरो को।
देवस्थानों पर भी अब तो दुराचार होते है,
मंदिर जाने वाले भी शर्मशार होते है।
कुकर्म हुआ वही पर जहाँ भगवान को खोजा जाता है,
न उसमे कोई हलचल थी जिस पत्थर को पूजा जाता है।
बेटी बचाओ अभियान में बेटी बचायी जायेगी,
कल फिर वही बेटी सड़कों पर नोची जायेगी।
कब तक चुप बैठोगे जब तक खुद पर वार न होगा ,
क्या फिर किसी अबला पर अब येअत्याचार न होगा।
स्वच्छ भारत अभियान चलाया जाता है,
सुरक्षित भारत कौन बनायेगा।
कभी निर्भया कभी आसिफा,
फिर कोई शैतान दोहरायेगा ।

Language: Hindi
5 Likes · 355 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
* याद है *
* याद है *
surenderpal vaidya
#रिसर्च
#रिसर्च
*Author प्रणय प्रभात*
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
जिस सामाज में रहकर प्राणी ,लोगों को न पहचान सके !
जिस सामाज में रहकर प्राणी ,लोगों को न पहचान सके !
DrLakshman Jha Parimal
बंटते हिन्दू बंटता देश
बंटते हिन्दू बंटता देश
विजय कुमार अग्रवाल
The only difference between dreams and reality is perfection
The only difference between dreams and reality is perfection
सिद्धार्थ गोरखपुरी
पर दारू तुम ना छोड़े
पर दारू तुम ना छोड़े
Mukesh Srivastava
अकेलापन
अकेलापन
भरत कुमार सोलंकी
बालगीत :- चाँद के चर्चे
बालगीत :- चाँद के चर्चे
Kanchan Khanna
"You are still here, despite it all. You are still fighting
पूर्वार्थ
रूठना मनाना
रूठना मनाना
Aman Kumar Holy
सुना है फिर से मोहब्बत कर रहा है वो,
सुना है फिर से मोहब्बत कर रहा है वो,
manjula chauhan
परिभाषाएं अनगिनत,
परिभाषाएं अनगिनत,
महेश चन्द्र त्रिपाठी
प्रत्याशी को जाँचकर , देना  अपना  वोट
प्रत्याशी को जाँचकर , देना अपना वोट
Dr Archana Gupta
ऐ ज़िंदगी
ऐ ज़िंदगी
Shekhar Chandra Mitra
*घर में तो सोना भरा, मुझ पर गरीबी छा गई (हिंदी गजल)
*घर में तो सोना भरा, मुझ पर गरीबी छा गई (हिंदी गजल)
Ravi Prakash
लेशमात्र भी शर्म का,
लेशमात्र भी शर्म का,
sushil sarna
दोहे ( मजदूर दिवस )
दोहे ( मजदूर दिवस )
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
ज़िंदगी थी कहां
ज़िंदगी थी कहां
Dr fauzia Naseem shad
निर्मम क्यों ऐसे ठुकराया....
निर्मम क्यों ऐसे ठुकराया....
डॉ.सीमा अग्रवाल
Kabhi jo dard ki dawa hua krta tha
Kabhi jo dard ki dawa hua krta tha
Kumar lalit
3091.*पूर्णिका*
3091.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बाल शिक्षा कविता पाठ / POET : वीरचन्द्र दास बहलोलपुरी
बाल शिक्षा कविता पाठ / POET : वीरचन्द्र दास बहलोलपुरी
Dr MusafiR BaithA
(24) कुछ मुक्तक/ मुक्त पद
(24) कुछ मुक्तक/ मुक्त पद
Kishore Nigam
"आलिंगन"
Dr. Kishan tandon kranti
May 3, 2024
May 3, 2024
DR ARUN KUMAR SHASTRI
पहला खत
पहला खत
Mamta Rani
बेवफाई मुझसे करके तुम
बेवफाई मुझसे करके तुम
gurudeenverma198
बस यूं ही
बस यूं ही
MSW Sunil SainiCENA
‘’ हमनें जो सरताज चुने है ,
‘’ हमनें जो सरताज चुने है ,
Vivek Mishra
Loading...