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14 May 2023 · 1 min read

निर्मम क्यों ऐसे ठुकराया….

निर्मम ! क्यूँ ऐसे ठुकराया ?
जरा भी मुझपे तरस न आया ?

खड़ी रही मैं द्वार तुम्हारे।
निर्मल-नेहिल डोर सहारे।
थक गयी आस, दरस न पाया।

पलक-पाँवड़े बिछाए मैंने।
आरती- दीप सजाए मैंने।
जलद नेह का, बरस न पाया।

कितने फागुन बीते यूँ ही।
कितने सावन रीते यूँ ही।
हाय! मिलन का, बरस न आया।

कितने तूने गले लगाए।
छूकर पारस खूब बनाए।
खड़ी दूर मैं, परस न पाया।

निर्मम ! क्यूँ ऐसे ठुकराया….

– डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 147 Views
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